तीन साल पहले दिल्ली दिल्ली को दहलाने वाले दंगे में कड़कड़डूमा कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए 9 आरोपियों को दोषी पाया है. कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि हिंदू समुदाय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के उदेश्य के साथ बवाल काटा गया था. पुलिस द्वारा आरोपियों पर जो आरोप लगाए गए हैं, वो पूरी तरह साबित होते हैं. इस मामले में 29 मार्च को सजा का ऐलान किया जाएगा.

‘झुंड का उद्देश्य पहले से साफ था’

अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि आरोपी एक झुंड का हिस्सा बने थे, उस झुंड का जो पहले से सांप्रदायिक भावनाओं से भरा बैठा था, उसका सिर्फ एक उदेश्य था, हिंदू समुदाय की संपत्ति को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जाए. पुलिस द्वारा लगातार पीछे हटने की अपील की गई थी, लेकिन झुंड ने अपने बवाल को जारी रखा. अब जानकारी के लिए बता दें कि एक याचिकाकर्ता की शिकायत पर कोर्ट ने ये टिप्पणी की है.

9 आरोपी दोषी करार

दरअसल, रेखा शर्मा ने आरोप लगाया था कि तीन साल पहले 24-25 फरवरी को भीड़ ने उनके घर पर हल्ला बोल दिया था. सामान लूटा गया था और ऊपर रूम में आग लगा दी थी. इससे घर को भारी नुकसान हुआ था. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के दावों को सही माना है और 9 आरोपियों को दोषी पाया है. आरोपियों में मोहम्मद शहनवाज, मोहम्मद शोएब, शाहरुख, राशिद, आजाद, अशरफ अली, परवेज, फैजल और रशीद शामिल हैं.

22 फरवरी 2020 की मीटिंग में रची गयी साजिश

स्पेशल सेल ने उस चार्जशीट में सीसीटीवी की तस्वीरों के साथ दंगों के पहले 22 फरवरी को चांद बाग में दंगों की साजिश के लिए हुई एक खुफिया मीटिंग का भी खुलासा किया था. स्पेशल सेल के मुताबिक 22 फरवरी को चांद बाग इलाके में एक मीटिंग हुई थी. मीटिंग में अहतर खान, शादाब, सलीम और सुलेमान सिद्दकी शामिल थे. मीटिंग में अहतर खान ने कहा था कि जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे जो रोड ब्लॉक हुआ उसी तरह का रोड ब्लॉक चांद बाग समेत दिल्ली में कई जगह करेंगे.

पुलिस की चार्जशीट में तेजाब का भी ज़िक्र

वैसे दिल्ली दंगों को लेकर पिछले साल पुलिस ने जो चार्जशीट दायर की थी, उसमें भी कई चौंकाने वाले दावे हुए थे. स्पेशल सेल ने गवाहों और सबूतों के आधार पर दावा किया था कि दंगों के पहले प्लान के तहत तेजाब इकट्ठा करके रखा गया था और साजिश के तहत दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों पर उस तेजाब से हमला किया गया था.

रिकार्ड 755 FIR दर्ज हुईं

दंगों में दिल्ली पुलिस ने 11 पुलिस थाना इलाकों में कुल 755 एफआईआर दर्ज की थीं. दिल्ली में ये अब तक सबसे ज्यादा एफआईआर दर्ज करने का पहला मामला था. यहां तक कि 1984 के दंगों में भी इतनी एफआईआर दर्ज नहीं की गईं थी. 755 मामलों की जांच के लिए क्राइम ब्रांच के अंडर में 3 अलग-अलग एसआईटी टीम गठित की गई थीं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here