समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। दरअसल, अब्दुल्ला आजम ने आगामी 10 मई को सुआर विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव को स्थगित करने की मांग की थी। अबदुल्ला ने अपनी अयोग्यता को निरस्त करने के आदेश को भी निरस्त करने की मांग सवोच्च अदालत से की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम किसी भी चुनाव पर रोक नहीं लगा सकते हैं। एससी ने अब अगली सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते में करने को कहा है।

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यूपी सरकार से मांगा हलफनामा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम चुनाव पर रोक नहीं लगा रहे हैं। अब उसका आदेश अंतिम परिणाम पर निर्भर करेगा। वहीं, कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आजम खान के हलफनामा पर जवाबी हलफनामा भी दाखिल करने को कहा है।

अब्दुल्ला ने दी है हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती

बता दें कि अब्दुल्ला आजम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनकी सजा पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया गया था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगने के बाद अब्दुल्ला आजम का राजनीतिक भविष्य अधर में लटकता नजर आ रहा है।

दरअसल, अब्दुल्ला आजम को फर्जी प्रमाणपत्र मामले में बीते दिनों दो साल की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद उनकी विधायकी रद्द कर दी गई थी। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन वहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली। बहरहाल, अब आगामी दिनों में वो क्या कुछ कदम उठाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

क्या है जनप्रतिनिधित्व कानून?

दरअसल, जनप्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक, जब किसी राजनेता को किसी मामले में दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी संसद सदस्यता रद्द कर दी जाती है। बीते दिनों कुछ ऐसा ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ भी हुआ था। उन्हें गत लोकसभा चुनाव में कोलार में मोदी सरनेम को लेकर अपमानजनक टिप्पणी करने की वजह से संसद सदस्यता से अयोग्य करार दे दिया गया था। वहीं, बीते दिनों अब्दुल्ला आजम को भी एक मामले में दो साल की सजा सुनाई गई है, जिसकी वजह उनकी विधायकी रद्द कर दी गई।

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