मुंबई में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री के दरबार को लेकर कांग्रेस और एनसीपी ने विरोध किया है। वहीं, बीजेपी और शिवसेना ने इसका स्वागत किया है। दरअसल, धीरेंद्र शास्त्री का दरबार दो दिन के लिए मुंबई में सजने जा रहा हैं। 18 और 19 मार्च को मुंबई के मीरा रोड पर धीरेंद्र शास्त्री का कार्यक्रम होना है।
कांग्रेस का विरोध
धीरेंद्र शास्त्री के दरबार को लेकर कांग्रेस ने राज्य सरकार से मांग की है कि बागेश्वर धाम के इस कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं दी जाए। पार्टी का कहना है कि धीरेंद्र शास्त्री ने संत तुकाराम महाराज का अपमान करने वाला बयान देकर लाखों भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। महाराष्ट्र प्रगतिशील विचारों का राज्य है, जहां अंधविश्वास का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर धीरेंद्र शास्त्री के वसई-विरार के कार्यक्रम की इजाजत दी जाती है, तो इससे कई लोग गुमराह हो सकते हैं।
NCP ने की कार्रवाई की मांग
वहीं, एनसीपी के विधायक अमोल मितकरी ने कहा कि हमने पहले भी मांग की थी कि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर के खिलाफ कार्रवाई की जाए। क्योंकि वह अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं। महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा के खिलाफ कानून होने के बाद भी उन्हें परमिशन मिलती है, तो हम उनका विरोध करते हैं।
उद्धव गुट ने किया स्वागत
उधर, उद्धव गुट के नेता आनंद दुबे ने कहा कि अगर सनातन धर्म का प्रचार प्रसार हो रहा है, तो हम खुशी जाहिर करते हैं। समय-समय पर हमारे महापुरुषों ने ज्ञान दिया है, उसी क्रम में कोई भी हमारे समाज को दिशा देने का काम करता है तो हम हमेशा उनके साथ खड़े रहते हैं।
महाराष्ट्र में पिछली सरकार में तीनों दल थे एक साथ
बताते चलें कि महाराष्ट्र में पिछली उद्धव सरकार में शिवसेना, अब उद्धव गुट एनसीपी और कांग्रेस एक साथ सरकार में शामिल थे। हलांकि विधानसभा चुनाव में शिवसेना और बीजेपी ने साथ रहकर चुनाव लड़ा था, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों दलों में सहमति नहीं बन पाई। इसके बाद शिवसेना ने अपनी विचारधारा के विरूद्ध कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन कर सरकार बना ली थी। वर्तमान में भी उद्धव गुट कांग्रेस और एनसीपी के साथ खड़ा दिखाई देता है, लेकिन धीरेंद्र शास्त्री के मामले पर उद्धव गुट ने कांग्रेस और एनसीपी से अलग राय दी है।