देश की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक भोपाल गैस पीड़ितों को सुप्रीम कोर्ट से निराशा हाथ लगी है। 7 हजार 844 करोड़ रुपये अतिरिक्त मुआवजा दिलवाने की केंद्र सरकार की अर्जी को सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया है।

दोबारा मुआवजे का आदेश नहीं दे सकते- SC

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1989 में सरकार और कंपनी में मुआवजे पर समझौता हुआ। अब फिर मुआवजे का आदेश नहीं दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मुआवजा काफी था। अगर सरकार को ज्यादा मुआवजा जरूरी लगता है तो खुद देना चाहिए था।

क्या था केंद्र सरकार की याचिका में?

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को यूनियन कार्बाइड कंपनी से 7400 करोड़ के अतिरिक्त मुआवजे दिलाने की याचिका दाखिल की थी। दरअसल, 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) से 7,400 करोड़ रुपये के अतिरिक्त मुआवजे की मांग की गई थी। इसको लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी। वहीं, यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वो 1989 में हुए समझौते के अलावा भोपाल गैस पीड़ितों को एक भी पैसा नहीं देगा।

1984 में भोपाल में मौत ने मचाया था तांडव

1984 में दो दिसंबर की रात को भोपाल में मौत ने ऐसा तांडव मचाया कि आज तक उसके जख्म नहीं भर सके। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्‍ट्री से हुई जहरीली गैस के रिसाव से रात को सो रहे हजारों लोग हमेशा के लिए मौत की नींद सो गए। इससे पूरे शहर में मौत का तांडव मच गया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मरने वालों की संख्या 3700 से भी अधिक थी, वहीं लाखों लोगों पर इस गैस का दुष्प्रभाव देखने को मिला था।

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