गुजरात के मोरबी शहर में रविवार को सस्पेंशन ब्रिज माच्छू नदी में गिर गया, हादसे में 141 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई जबकि कई लोगों के डूबने की आशंका है, कई लोग घायल हैं जिन्हे मोरबी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, अस्पताल में अन्य अस्पतालों से करीब 40 डॉक्टरों की टीम मौके पर पहुंची है, मौके पर करीब 30 एंबुलेंस को तैनात किया गया है, NDRF की 5 टीमों में करीब 110 सदस्य रेस्क्यू में जुटे हैं, रेस्क्यू के लिए करीब 20 बोट की तैनाती की गई है।

दरअसल मामला मोरबी शहर का है, जहां करीब 500 लोग रविवार शाम घूमने गए थे, इस बीच भीड़भाड़ वाला सस्पेंशन ब्रिज माच्छू नदी में गिर गया, हादसे में 141 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, घटना की सूचना मिलते ही आनन-फानन में पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचा, राहत-बचाव कार्य में NDRF-SDRF, सेना के जवान शामिल हैं जो जीवित और शवों की तलाश की, अब भी राहत बचाव कार्य जारी हैं, घटना के वीडियो में 756 फीट लंबे पुल में झूलते दिखाई दिए और अपनी जान बचाते नजर आए।
घटना की सूचना मिलते ही पीएम मोदी ने गुजरात के सीएम से फोन पर बातचीत की, और बचाव दलों को तत्काल जुटाने की मांग की, सीएम भूपेंद्र पटेल ने जिला प्रशासन को घायलों के तत्काल इलाज की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।

हादसे पर क्रिमिनल केस दर्ज

इस हादसे को लेकर रखरखाव करने वाली एजेंसी पर 304, 308 और 114 के तहत क्रिमिनल केस दर्ज किया गया है, और जांच शुरू की गई है।

सीएम ने किया मुआवजे का ऐलान
वहीं हादसे पर गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल ने गहरा दुख जताया. और मृतक के परिजनों को 4-4 लाख रुपये, घायलों को 50-50 हजार रुपये राहत राशि देने का ऐलान किया, घटना के तुरंत बाद सीएम ने अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए और मोरबी के लिए रवाना हो गए थे।

प्रधानमंत्री राहत कोष से मुआवजे का ऐलान
वहीं, PMO यानी प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक पीएम मोदी ने गुजरात के सीएम और अन्य अधिकारियों ने मोरबी की घटना पर बातचीत की, उन्होंने बचाव अभियान के लिए टीमों को तत्काल जुटाने, निगरानी बनाए रखने और प्रभावित लोगों को हर संभव मदद देने को कहा है, साथ ही पीएम मोदी ने हादसे में मृतक के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 हजारे रुपये मुआवजे का ऐलान किया है।

यह पुल करीब 100 साल पुराना बताया जा रहा है और कुछ दिन पहले ही इसकी मरम्मत कराई गई थी। मरम्मत के बाद 5 दिन पहले ही इसे आम जनता के लिए फिर से खोला गया था।

दरअसल केबल ब्रिज 100 साल से पुराना बताया जा रहा है, ये ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया था, इस पुल को गुजराती नव वर्ष पर 5 दिन पहले ही मरम्मत के बाद शुरू किया गया था, बड़ा हादसा होने पर अब कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं, जानकारी के मुताबिक फिटनेस सर्टिफिकेट के बिना ही ब्रिज को शुरू कर दिया गया था. जहां घूमने आए लोगों को 17 रुपये का टिकट खरीदना होता था, वहीं, बच्चों के लिए 12 रुपए का टिकट अनिवार्य था।

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