पूर्वोत्तर के दो राज्य असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच चला आ रहा सीमा विवाद आज समाप्त हो गया। दोनों राज्यों की सरकारों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में समझौते पत्र पर हस्ताक्षर कर दिये। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सर्मा और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किये। बता दें, असम और अरुणाचल प्रदेश 804.1 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं।

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‘नामसाई घोषणापत्र’ पर हुए थे हस्ताक्षर

दरअसल, असम के सीएम विश्वसर्मा और अरुणाचल के सीएम खांडू ने 15 जुलाई, 2022 को ‘नामसाई घोषणापत्र’ पर हस्ताक्षर करके सीमा विवाद का समाधान निकालने का संकल्प लिया था। इसी के बाद से दोनों राज्यों के बीच इस पर बातचीत हो रही थी। जानकारी में बताया गया कि दोनों राज्यों ने 123 गांवों के इस विवाद को खत्म करने का फैसला लिया है।

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अमित शाह ने घटना को ऐतिहासिक बताया

गृहमंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के बीच हुए सीमा समझौते को ‘ऐतिहासिक’ घटना बताया और कहा कि इससे दशकों पुराना विवाद खत्म हो गया। गृहमंत्री ने कहा कि अन्य राज्यों के साथ विवाद समाप्त करने के लिए बातचीत की प्रक्रिया जारी है। सबसे बड़ी बात यह है कि पूरे विवाद को समाप्त करने में स्थानीय लोगों को भरोसे में लिया गया और 12 क्षेत्रीय कमेटियों ने ग्रामीणों से बातचीत की। अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार आने के बाद पूर्वोतर भारत में एक के बाद एक सारे विवाद समाप्त हो रहे हैं।

विश्वसर्मा ने कहा कि यह ‘बड़ा और सफल’ क्षण है। वहीं खांडू ने इस समझौते को ‘ऐतिहासिक’ बताया। क्षेत्र विशेष पर चर्चा के लिए पिछले साल क्षेत्रीय समितियों का गठन किया गया था, जिनमें मंत्री, स्थानीय विधायक और दोनों राज्यों के अधिकारी शामिल थे।

अरुणाचल 1972 में बना केंद्रशासित प्रदेश

बता दें, अरुणाचल प्रदेश लगातार कहता रहा है कि मैदानी हिस्सों में स्थित कई वन क्षेत्र पारंपरिक रूप से पहाड़ी के आदिवासी प्रमुखों और समुदायों के हुआ करते थे और उन्हें एकतरफा फैसले में असम को दे दिया गया। अरुणाचल प्रदेश को 1972 में केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया था।

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1987 से चला आ रहा था सीमा विवाद

साल 1987 में अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद एक समिति का गठन किया गया, जिसने असम के कुछ क्षेत्रों को वापस अरुणाचल प्रदेश को देने की सिफारिश की। असम ने इसको चुनौती दी थी और मामला लंबे समय तक उच्चतम न्यायालय में लंबित था। लेकिन आज केंद्र के दखल के बाद दशकों पुराना ये विवाद समाप्त हो गया।

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