मध्यप्रदेश: कांग्रेस के सीनियर नेता और राज्य के पूर्व सहकारिता मंत्री भगवान सिंह यादव को कोर्ट ने भ्रष्टाचार मामले में 3 साल की सजा सुनाई है, कोर्ट ने मामले में 2 लोगों को 3-3 जबकि 4 लोगों को 4-4 साल की सजा के साथ जुर्माना भी लगाया है, भगवान सिंह यादव पर जिला सहकारी बैंक में स्टेशनरी खरीदी में भ्रष्टाचार से जुड़े एक केस में सजा सुनाई गई है।
मामला 2004 का है और जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से जुड़ा था, 2004 में भगवान सिंह यादव इसी बैंक के अध्यक्ष थे, उस दौरान साढ़े 4 लाख रुपये की स्टेशनरी खरीदी गई थी, ग्रीटिंग कार्ड भी छपवाए गए थे, भ्रष्टाचार और अनियमितता की शिकायत बैंक के ही पूर्व कर्मचारी सतीश शर्मा ने की थी, खरीदी में गलत तरीके से दस्तावेजों का इस्तेमाल हुआ था, जिस सहकारी समिति से खरीदी दिखाई, उसकी जानकारी नहीं थी, और न ही स्टेशनरी का कारोबार करने का उल्लेख किया गया, आरोपियों में भगवान सिंह के अलावा 4 आरोपी जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के कर्मचारी और एक महिला सहकारी समिति की अध्यक्ष है।
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बतादें कि पूर्व मंत्री और सीनियर कांग्रेस नेता भगवान सिंह यादव को 3 साल की सजा सुनाई गई , साथ ही 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है, ये सजा विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए कोर्ट ने सुनाई है, जानकारी के मुताबिक केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष रहते हुए साढे 4 लाख रुपए के स्टेशनरी के भुगतान को लेकर ईओडब्ल्यू ने मामला दर्ज किया था, वहीं शिकायत के बाद सतीश शर्मा ने पूर्व मंत्री भगवान सिंह समेत 8 लोगों पर शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमे 6 आरोपियों को सजा सुनाई गई।
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बतादें कि सहकारी बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष भगवान सिंह यादव और डीके जैन को 2 अलग-अलग मामलों में 3-3 साल की सजा सुनाई गई, 15 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया, ये दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी, वहीं आरोपी ईशान चंद्र, गजेंद्र, शीला गुर्जर और संजीव शुक्ला को 2 अलग-अलग मामलों में 3 और 4-4 साल की कारावास और 15-15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
कोर्ट के सजा सुनाने के बाद भगवान सिंह यादव और डीके जैन के वकील ने कोर्ट के सामने जमानत के लिए आवेदन दिया है, उनके पक्षकार को 3-3 साल की सजा सुनाई गई, जिसमें उन्हें जमानत दी जा सकती है, कोर्ट ने इस आवेदन को स्वीकार कर फौरी राहत दी, उन्हें जमानत पर रिहा कर निर्देश दिया गया, वे एक माह के अंदर अपनी पक्की जमानत करा लें, लेकिन बाकी 4 आरोपियों को 4-4 साल की सजा होने पर उन्हें जेल भेज दिया गया है।
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हालांकि मामले की कई सालों तक जांच चली, जिसके बाद आर्थिक अपराध ब्यूरो यानी EOW ने इनमें बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष भगवान सिंह यादव और मैनेजर मुकेश माथुर समेत 8 लोगों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था, मामले में 2 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी, जबकि यादव समेत 6 आरोपियों को जमानत मिल गयी थी, जिसके बाद कोर्ट ने अब अपना फैसला सुनाया है।