देश के लोकतंत्र में केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार के बीच टकराव सीधे तौर पर सामने आ गया है. प्रधानमंत्री की बैठक में विलंब से पहुचने वाले बंगाल के मुख्य सचिव अलापन बंदोपाध्याय ने सोमवार को अपनी सेवाओं से रिटायरमेंट ले लिया. हालांकि 31 मई को ही उनका कार्यकाल समाप्त भी हो रहा था. उन्हें केंद्र सरकार ने वापस बुला लिया था, लेकिन वे नहीं गए. अब ममता बनर्जी ने सीधे केंद्र को चुनौती देते हुए बंधोपाध्याय को अपना विशेष सलाहकार नियुक्त किया है. साथ ही आइएएस अफसर हरिकृष्ण द्विवेदी को मुख्य सचिव और वीपी गोपालिका को गृह सचिव नियुक्त कर दिया. सोमवार की शाम को राज्य सचिवालय नवान्न में बैठकों के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह घोषणा की.

मुख्यमंत्री बनर्जी ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा उन्होंने कोई वजह नहीं दी थी. मैं हैरान हूं. मैंने फैसला किया है कि कोरोना के समय में हमें उनकी सेवाओं की जरूरत होगी. चाहे वह कोरोना हो या फिर यास, वे गरीबों, राज्य और देश के लिए अपनी सेवाओं को जारी रखेंगे. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बंगाल में हुई साइक्लोन यास के मसले पर मीटिंग में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय पहले तो काफी देरी से पहुंचे और उसके बाद चंद मिनटों में ही निकल गए. इसी के बाद केंद्र ने मुख्य सचिव पर एक्शन लेना शुरू किया. केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने शुक्रवार को बंगाल के चीफ सेक्रेटरी अलपन बंदोपाध्याय को दिल्ली तलब किया था. अलपन को सोमवार सुबह 10 बजे दिल्ली बुलाया गया था. लेकिन वो सोमवार को नहीं पहुंचे और बंगाल में ही अपने काम में जुटे रहे. अब केंद्र सरकार अलपन बंदोपाध्याय के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है. क्योंकि नियमों के मुताबिक, अगर अफसर को लेकर केंद्र और राज्य के बीच में कोई विवाद होता है तो केंद्र का फैसला ही माना जाता है.

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