महाराष्ट्र में अपनी 14 मांगों को लेकर लॉन्ग मार्च पर निकले किसानों की सभी मांगें महाराष्ट्र सरकार ने मान ली हैं। एकनाथ शिंदे की सरकार द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों की सभी मांगों को स्वीकार करने के बाद किसानों ने अपना मार्च रोक दिया है। वहीं मुख्यमंत्री 17 मार्च को विधानसभा में इसको लेकर बयान देंगे।

सीएम डिप्टी-सीएम के साथ प्रतिनिधिमंडल की चर्चा

बता दें, कि इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को किसानों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी। लेकिन किसानों ने अपनी मांगों को लेकर नासिक जिले से मुंबई की ओर अपना मार्च जारी रखा। इससे पहले, राज्य सरकार ने मंत्री दादा भुसे और अतुल सावे को किसानों के साथ चर्चा करने के लिए भेजा था।

मार्च में कई किसान बीमार

किसानों के नासिक-मुंबई के बीच 175 किलोमीटर लंबे मार्च में शामिल कुछ महिलाओं सहित कम से कम 40 किसान बीमार हो गए। किसानों के एक प्रवक्ता पी.एस. प्रसाद ने कहा कि अधिकांश लोग निर्जलीकरण के लक्षणों, चक्कर आना, सिरदर्द, कमजोरी से पीड़ित हैं, और कई लोगों के पैरों में छाले हो गए हैं। वॉलंटियर्स द्वारा उन्हें मौके पर ही आवश्यक उपचार दिया जा रहा है।

सिर्फ एक दिन के लिए रोका गया मार्च!

किसान नेता जे पी गावित ने कहा, ‘लेकिन सिर्फ आश्वासनों से काम नहीं चलेगा. पहले भी दो बार किसानों को आश्वासन देकर मुंबई पहुंचने से पहले ही लौटा दिया जाता रहा है. बाद में उन आश्वासनों पर कोई अमल होता हुआ दिखाई नहीं दिया है. हमने मार्च को आगे बढ़ने से सिर्फ एक दिन के लिए रोकने का फैसला किया है. महाराष्ट्र सरकार ने हमारी सभी मांगे मानी हैं. मांगें मान लिया जाना काफी नहीं है. उनका अमल होना जरूरी है. हम तब तक कोई अंतिम फैसला नहीं लेंगे जब तक उन्हें एक शासनादेश जारी नहीं हो जाता।

किसानों की सरकार से 14 मांगें :-

  1. प्याज पर 600 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी दें। प्याज निर्यात की सभी संभावनाएं तलाश कर थोक में प्याज का निर्यात करें। 2000/- के न्यूनतम मूल्य पर नाफेड के माध्यम से थोक में प्याज खरीदें।
  2. वर्षों से जमीन जोतने वाले जिन आदिवासियों के कब्जे में 4 हेक्टेयर तक की वन भूमि है 7/12 पर उनके नाम पर जमीन करें। आदिवासियों के अपात्र दावों को स्वीकृत करें।
  3. किसानों की कृषि के लिए आवश्यक बिजली दिन में लगातार 12 घंटे उपलब्ध कराकर उनके अतिरिक्त बिजली बिल माफ करें।
  4. किसानों का पूरा कृषि ऋण माफ कर किसानों का 7/12 क्लियर करें।
  5. बेमौसम बारिश और साल भर जारी रहने वाली प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल क्षति के लिए एनडीआरएफ से तत्काल मुआवजा दें। फसल बीमा कंपनियों की लूट पर अंकुश लगाएं और फसल बीमा धारकों को नुकसान की भरपाई के लिए कंपनियों को मजबूर करें।
  6. बेबी गोंद की फसल के लिए कम से कम 250 रुपये प्रति किलो का गारंटीकृत मूल्य देकर बेबी गोंद की सरकारी खरीद योजना जारी रखें। 2020 के प्राकृतिक चक्रवाती बारिश के दौरान गोंद फसल की क्षति के पंचनामा के आधार पर किसानों को मुआवजे का तत्काल भुगतान हो।
  7. दूध के निरीक्षण के लिए इस्तेमाल होने वाले दूध के मीटरों और तौल कांटे के नियमित निरीक्षण के लिए एक स्वतंत्र प्रणाली स्थापित करें। मिल्कोमीटर निरीक्षक नियुक्त करें। दूध के लिए एफआरपी और रेवेन्यू शेयरिंग पॉलिसी लागू करें। गाय के दूध का न्यूनतम मूल्य 47 रुपये और भैंस के दूध का न्यूनतम मूल्य 67 रुपये दें।
  8. सोयाबीन, कपास, अरहर और चने की फसल के दाम गिराने की साजिश बंद करें।
  9. केरल की तर्ज पर हाईवे प्रभावित किसानों को मुआवजा दें। उचित पुनर्वास करें। नवी मुंबई हवाईअड्डा परियोजना पीड़ितों का समुचित पुनर्वास।
  10. 2005 के बाद भर्ती हुए सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना लागू करें। समाज कल्याण विभाग के कर्मचारियों को भी वेतनमान लागू करें। आंशिक रूप से सहायता प्राप्त विद्यालयों को शत-प्रतिशत अनुदान दें।
  11. मौजूदा महंगाई को देखते हुए गरीब किसानों, खेतिहर मजदूरों, मजदूरों, झुग्गी-झोंपड़ी वालों को प्रधानमंत्री आवास योजना की सब्सिडी 1 लाख 40 हजार से 5 लाख करें और वंचित गरीब लाभार्थियों का एक नया सर्वेक्षण करें और उनके नाम सूची ‘डी’ में शामिल करें।
  12. महाराष्ट्र के वरिष्ठ नागरिकों और अन्य लोगों के लिए लागू वृद्धावस्था पेंशन और विशेष वित्तीय सहायता योजना की राशि को कम से कम 4000 रुपये तक बढ़ाएं।
  13. हर महीने राशन कार्ड पर मुफ्त अनाज के साथ अनाज की बिक्री फिर से शुरू करें।
  14. सरकारी नौकरियों में रिक्तियों को भरें, केकॉन्ट्रेक्ट कर्मचारियों को नियमित कर मजदूरी दर बढ़ाकर 26000 रुपये करें।

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