मध्य प्रदेश के विदिशा में बोरवेल में फंसे 7 साल के बच्चे को बचाने की सारी कोशिशें असफल हो गई हैं. दरअसल पूरे 24 घंटे तक 60 फीट गहरे बोरवेल में फंसे रहने के कारण लोकेश की मौत हो गई, कलेक्टर ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि लोकेश को नहीं बचाया जा सका. बता दें कि 43 फीट की गहराई में बोरवेल में फंसे लोकेश को निकालने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ ही विदिशा व भोपाल के प्रशासनिक व पुलिस टीमें जुटी हुईं थीं, बच्चे को बोरवेल से निकालकर सीधा अस्पताल के लिए रवाना किया गया, जहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया.
बोरवेल से निकालकर ले जाया गया अस्पताल
विदिशा की लटेरी तहसील के खेरखेरी पठार गांव में 60 फीट गहरे बोरवेल में फंसे लोकेश को सफलतापूर्वक बोरवेल से निकाल कर अस्पताल भेजा गया. बता दें कि बच्चे के बाहर आने के पहले ही डॉक्टरों की टीम और एंबुलेंस पूरी तरह से बच्चे को लटेरी की सीएससी हॉस्पिटल में ले जाने के लिए तैयार थी, इसके बाद जैसे ही मासूम बाहर आया बिना किसी देरी के उसे अस्पताल ले जाया गया. लेकिन प्रशासन की सारी कोशिशें नाकाम साबित हुईं और मासूम लोकेश को बचाया नहीं जा सका.
खेलते समय हुआ हादसा
बता दें कि विदिशा जिले की लटेरी तहसील के खेरखेरी पठार गांव में मंगलवार को 7 साल का लोकेश अहिरवार खेलते समय बोरवेल में गिर गया था, वह सुबह करीब 11 बजे अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए घर से निकला था. इसी दौरान बंदरों के पीछे दौड़ते हुए वह खुले बोरवेल में गिरा गया था. सूचना मिलते ही उसके पिता दिनेश अहिरवार अन्य ग्रामीणों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और उसको निकालने के प्रयास शुरू किए. जब देखा कि लोकेश बोरवेल में गहरे तक फंस गया है तो स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी.
24 घंटे की मशक्कत हुई नाकाम
सूचना मिलते ही कलेक्टर समेत बड़े अधिकारी मौके पर पहुंचे, कलेक्टर उमाशंकर भार्गव की देखरेख में खेरखेरी गांव में 3 पोकलेन से गड्ढे की खुदाई शुरू हुई. इधर, भोपाल से NDRF की टीम भी खेरखेरी गांव पहुंची, इसके बाद पुलिस और एनडीआरएफ की टीम मंगलवार सुबह 11.30 बजे से रेस्क्यू का काम शुरू कर दिया. 24 घंटे की मशक्कत के बाद बुधवार को पोकलेन मशीन से खुदाई का पूरा कर लिया गया, इसके बाद NDRF की टीम ने बोरवेल के समीप सुरंग बनाने का कार्य शुरू किया और आखिरकार बच्चे को सही सलामत वापस निकाल लिया गया. लेकिन लोकेश को बचाया नहीं जा सका.