मध्य प्रदेश में अपराधियों की पहचान करने की दिशा में एक नया कदम उठाया गया है। लोगों को मौके पर तुरंत पुलिस सहायता उपलब्ध कराने वाले डायल-100 वाहनों में अब सीसीटीवी कैमरे भी लगेंगे। इन वाहनों में आगे चलकर इनमें ऐसा साफ्टवेयर लगाया जाएगा, जिसमें उस क्षेत्र विशेष के अपराधियों का फोटो या स्केच भी अपलोड रहेगा।

कैमरे की जद में आते ही होगी अपराधी की पहचान

जैसे ही वह व्यक्ति कैमरे की जद में आएगा, साफ्टवेयर उसे पहचान कर संकेत देगा। इससे अपराधियों को पहचानने और पकड़ने में मदद मिलेगी। बता दें कि प्रदेश में डायल-100 वाहनों के संचालन के लिए कंपनी चयन की निविदा प्रकिया पूरी हो गई है। अब केवल पुलिस महानिदेशक की स्वीकृति का इंतजार है। पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया कि डायल-100 वाहनों में लगे कैमरों की रिकार्डिंग भोपाल में भदभदा स्थित एकीकृत नियंत्रण एवं निगरानी केंद्र से देखी जा सकेगी।

संदिग्ध की सूचना वायरलेस से पहुंचेगी

ऐसे में साफ्टवेयर द्वारा किसी संदिग्ध को चिन्हित किया जाता है तो निगरानी केंद्र से सीधा डायल-100 में मौजूद पुलिसकर्मियों को वायरलेस सेट के माध्यम से संदेश भेजा जाएगा। इसके अलावा डायल-100 का नियंत्रण कक्ष क्राइम एवं क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (सीसीटीएनएस) से भी जुड़ा रहेगा। सीसीटीएनएस में एफआइआर, चालान, घटना स्थल, अपराधियों के फोटो अपलोड हैं। इससे भी अपराधियों या संदिग्धों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकेेगी।

लंबी प्रक्रिया के बाद हुआ कंपनियों का चयन

पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया कि तकनीकी निविदा में दो कंपनियां शर्ताें पर खरी उतरी थीं। इसके बाद वित्तीय निविदा खोली गई। इसमें कम दर पर वाहनों के संचालन के लिए तैयार एक कंपनी का नाम स्वीकृति के लिए पुलिस महानिदेशक को भेजा गया है। लगभग दो वर्ष से कंपनी चयन के लिए निविदा प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन किसी न किसी कारण से इसके पहले चार बार टेंडर रद किया जा चुका है। इस कारण वर्तमान में काम कर रही कंपनी का कार्यकाल छह-छह माह के लिए चार बार बढ़ाया जा चुका है।

यह सुविधाएं भी बढ़ेंगी-

1- अभी एक हजार वाहन है, जिन्हें बढ़ाकर दो हजार किया जाएगा।

2- शहरी क्षेत्र में टाटा सफारी की जगह इनोवा और ग्रामीण क्षेत्र में बोलेरो वाहन चलेंगे।

3- पुलिसकर्मियों की वर्दी में भी कैमरे लगे रहेंगे।

4- काल मास्किंग रहेगी, जिससे फोन करने वाले का नंबर डायल- 100 वाहन के पुलिसकर्मियों को पता नहीं चलेगा।

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