ओडिशा में शुक्रवार शाम हुए सदी के सबसे भीषण रेल हादसे को लेकर रेलवे बोर्ड ने अहम खुलासा किया है। बोर्ड ने साफ कहा कि यह ओवर स्पीड का मामला नहीं है। हालांकि, सिग्नल में खराबी से इनकार नहीं किया गया है। बोर्ड के अनुसार, कवच भी इस दुर्घटना को नहीं रोक सकता था। जिस तरह से हादसा हुआ उसको रोकने करने का उपाय पूरी दुनिया में नहीं है।

4 लाइन का स्टेशन है बहानागा

रेलवे बोर्ड की सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने बताया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस को ग्रीन सिग्नल मिला हुआ था। उसमें कोई परेशानी नहीं थी। बोर्ड ने बताया कि बहानागा स्टेशन 4 लाईन का स्टेशन है, 2 मेन लाईन और 2 लूप लाईन।

हाईस्पीड से गुजर रही थीं दोनों एक्सप्रेस ट्रेन

उन्होंने कहा कि ऊपर वाली और नीचे वाली लूप लाइन पर माल गाड़ियां खड़ी थीं। रूट और सिग्नल सब ठीक थे। कोरोमंडल को ग्रीन सिग्नल मिला हुआ था और वह हादसे के वक्त अप लाइन पर कोरोमंडल 128 की स्पीड से जा रही थी, जबकि डाउन लाइन पर यशवंतपुर एक्सप्रेस की स्पीड भी 126 किलोमीटर प्रति घंटा थी।

कोरोमंडल एक्सप्रेस के साथ हुआ हादसा

रेलवे बोर्ड की तरफ से कहा गया कि केवल कोरोमंडल ट्रेन के साथ हादसा हुआ। वह पहले मालगाड़ी मालगाड़ी से टकराई, जिसमें लोहा लदा हुआ था। इस वजह से मालगाड़ी अपनी जगह से हिली तक नहीं। वहीं कोरोमंडल एस्प्रेस के डिब्बे दूसरी पटरी पर जा गिरे। जिसके बाद डाउन ट्रैक से गुजर रही यशवंतपुर एक्सप्रेस के आखिरी दो डिब्बे इसकी चपेट में आ गये।

सिग्नल फेल होने के संभावित कारण

प्रिंसिपल एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर (सिग्नलिंग) संदीप माथुर ने बताया, लूप लाइन पर ट्रेन को ले जाने के लिए एक प्वाइंट होता है। उसे ऑपरेट करना होता है, जिससे यह तय होता है कि ट्रेन सीधी जाएगी या लूप लाइन पर जाएगी। सिग्नल इस तरीके से इंटरलॉक होते है कि इससे यह पता चल जाए कि आगे की लाइन व्यस्त नहीं है और रेल लूप लाइन पर जा रही है। सुरक्षित तरीके से ट्रेन को ले जाने के लिए यह बेहद अहम होता है।

सिग्नलिंग की दिक्कत तब आती है, जब कोई रेलवे की बिना जानकारी के ट्रैक पर कोई काम करता है और खोदाई करता है। इससे संभव है कि केबल कट जाए और सिग्नल फेल हो जाए। दूसरा शॉर्ट सर्किट के कारण हो सकता है।

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