हमने बचपन में मिट्टी खाई होगी। लेकिन क्या आपने कभी ‘मिट्टी की रोटी’ खाई है? सवाल थोड़ अजीब जरूर है। ‘मिट्टी की रोटी’ यह शब्द सुनकर आप हैरान जरुर हुए होगे। क्योंकि हम सब तो आटे की रोटी खाते हैं, और ‘मिट्टी की रोटी’ भी कोई क्यों खाता होगा भला। लेकिन हम अपको बता दे की एक ऐसा देश भी हैं जहां आटे की रोटी नही बल्कि मिट्टी की रोटी खाई जाती हैं।
जी हां, कैरेबियन सागर में स्थित ‘हैती’ (Haiti) एक देश है। ‘मिट्टी की रोटी’ खाने की यहां कोई पंरपरा नही हैं, और न ही किसी को ‘मिट्टी की रोटी’ खाना अच्छा लगता हैं। इस देश के लोग मिट्टी की रोटी खाने पर मजबूर हैं।
2010 में आया था भयंकर भूकंप
दरअसल, 2010 में वहां भयंकर भूकंप आया था। जिसमें ढाई लाख के करीब लोगों की जान चली गई थी। वहीं 30 लाख से ज्यादा लोग उस भूकंप से प्रभावित हुए थे। हैती अब भी उससे उभरने की कोशिशों में लगा हुआ है।
बता दें कि वहां गरीबी पहले से है। वहां के पिछड़े इलाकों में तो हाल बहुत ही खराब है। 2008 में खबर आई थी कि वहां के लोग खाने की कीमतों में आए उछाल की वजह से मिट्टी की कुकीज बनाकर खाने लगे थे। दरअसल, उन पर खाना खरीदने तक के पैसे नहीं थे। ऐसे में वे वहां की पीली मिट्टी का इस्तेमाल कर कुकीज बनाने लगे और उसको ही खाने लगे।
शिक्षा और कृषि क्षेत्र में भारी पिछड़ापन
हैती में राजनीतिक उत्पीड़न का भी बहुत लंबा इतिहास रहा है। लोगों में ज्ञान और शिक्षा की कमी है। कृषि क्षेत्र में भी ये देश काफी पिछड़ा हुआ है। हैती की निर्भरता सबसे ज्यादा आयात पर है। एक यह भी वजह है कि ये देश आगे नहीं बढ़ पा रहा. इसके अलावा, इस देश के विकास को प्राकृतिक आपदाओं ने भी कहीं न कहीं बाधित करने का काम किया है।
पहाड़ी मिट्टी बनी वरदान
हैती के लोगों को पहाड़ी मिट्टी किसी वरदान से कम नहीं लगती है। क्योंकि उनके पास दूसरे अमीर देशों की तरह खाने के लिए पौष्टिक भोजन नहीं है। लिहाजा वो पहाड़ी मिट्टी से ही रोटी बनाते हैं। वो पहले मिट्टी में पानी और नमक मिलाकर इसका एक लेप तैयार करते हैं। फिर इसी लेप को वो रोटी का आकार देते हैं और धूप में सुखाकर खाते हैं।