वन रैंक वन पेंशन के बकाया एरियर पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अहम निर्देश जारी किये हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार 30 अप्रैल के पहले-पहले लाभार्थियों का एरियर चुका दें. दरअसल, देश में पेंशन पाने वालों की संख्या 25 लाख के आसपास है, जिसका एरियर करीब 28 हजार करोड़ रुपये है. यह एरियर 2019 से दिया जाना है. वहीं, वित्त मंत्रालय ये भुगतान एक साथ करने में असमर्थता जता चुका है.
SC ने पहले भी जारी किये थे निर्देश
कोर्ट पहले ही वन रैंक वन पेंशन के सिलसिले में आदेश जारी कर चुका है, लेकिन सरकार ने कोई ठोस प्रस्ताव नहीं दिया था. अब सरकार का कहना है कि एक साथ भुगतान करना मुश्किल है, और कोर्ट से चार किश्तों में भुगतान की मोहलत मांगी, जिसे चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने स्वीकार नहीं किया, और तीन किश्तों में भुगतान का निर्देश दिया.
सील बंद रिपोर्ट देने पर नाराजगी
इससे पहले सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डी वीआई चंद्रचूड ने सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा किए जाने पर नाराजगी जताई और इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला ने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में जवाब देने के चलन पर रोक लगाने की आवश्यकता है. यह मूल रूप से निष्पक्ष न्याय की बुनियादी प्रक्रिया के विपरीत है. उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल भी पूछा कि यह रिपोर्ट तो आदेशों के अमल में लाने को लेकर है, इसमें आखिर गोपनीय क्या हो सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश देते हुए कहा…
- 6 लाख फैमिली पेंशन+वीरता पुरस्कार वाले पेंशनरों को 30 अप्रैल 2023 तक बकाया दिया जाए.
- 70 साल से अधिक उम्र वाले 4 लाख लोगों को 30 जून 2023 तक बकाया दें.
- 11 लाख के लगभग बाकी लोगों को 3 बराबर किश्त में 30 अगस्त 2023, 30 नवंबर 2023 और 28 फरवरी 2024 तक भुगतान किया जाए.
क्या है OROP का फॉर्मूला?
वन रैंक वन पेंशन का मतलब एक समान रैंक और समान अवधि की सेवा के लिए समान पेंशन मिलनी चाहिए. इसमें रिटायरमेंट की तारीख के कोई मायने नहीं रह जाते. यानी अगर किसी अधिकारी ने 1985 से 2000 तक 15 साल फोर्स में सेवा दी और एक अन्य अफसर 1995 से 2010 तक सेवा में रहे तो दोनों को एक बराबर पेंशन मिलेगी. इससे 25 लाख पूर्व सैनिकों को फायदा होगा.