देश में रेवडी कल्चर पर सियासत जोरों पर है, रेवड़ी कल्चर सुप्रीम कोर्ट भी सख्त नजर आया, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजनीतिक दलों की तरफ से मुफ्त में उपहार देने की परंपरा एक गंभीर मुद्दा है, इस पर बहस होनी चाहिए, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार इस पर सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलाती, जब तक राजनीतिक दलों के बीच सर्वसम्मति से निर्णय नहीं होता, तब तक कुछ नहीं हो सकता, मुफ्तखोरी अर्थव्यवस्था को नष्ट करती है, क्योंकि राजनीतिक दल ऐसे वादे करते हैं और चुनाव मैदान पर उतरते हैं।

प्रधानमंत्री खत्म करना चाहते हैं ‘रेवड़ी कल्चर’ की परंपरा

दरअसल देश में प्रधानमंत्री मोदी मुफ्त उपहार परंपरा को खत्म करना चाहते हैं ताकि लोगों के मन में कोई प्रलोभन, लालच ना पनप सके, यह संस्कारों से जुड़ा सवाल है, अब प्रधानमंत्री ने रेवड़ी की तरह बांटने वाली योजना पर अंकुश लगाना चाहते हैं, सुप्रीम कोर्ट भी सख्ती के साथ उनके साथ खड़ा नजर आया।

मुक्त उपहार योजना से दिल्ली-पंजाब में ‘आप’ की सरकार

दरअसल दिल्ली सरकार ने हर चीज मुफ्त, मुफ्त, मुफ्त बांटने की परंपरा शुरू की है, जिसके बाद उसकी दिल्ली के बाद अब पंजाब में सरकार बनी, आप ने अपना परचम फहराया, अब अन्य राज्यों में भी इसी तरह चुनाव मैदान में उतरने का मन बना लिया है।

मुक्त ‘रेवड़ी कल्चर’ पर प्रधानमंत्री ने दिया था बयान

जानकारी के मुताबिक सबसे पहले 16 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी ने ‘रेवड़ी कल्चर’ पर बिना किसी के नाम लिए कहा था.. कि कुछ पार्टियां देश में ‘रेवड़ी कल्चर’ को बढ़ावा देने का प्रसास कर रही है, हम सबकों मिलकर रेवड़ी कल्चर की सोच को हराना है, ये कल्चर देश के विकास के लिए बहुत घातक है, यहीं से इस पर बहस छिड़ गई।

दरअसल प्रधानमंत्री मोदी का निशाना उन राजनीतक पार्टियों पर था, जो मुक्त योजनाओं के तहत चीजें बांटती हैं, चुनाव से पहले लोगों से मुफ्त बिजली, पानी,  कैश, लैपटॉप और दूसरी चीजों का प्रलोभन देकर वादा करती हैं, जीत के बाद सब मुफ्त में बांटती हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर अरविंद केजरीवाल की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रतिक्रिया दी, उन्होने कहा कि मुझ पर आरोप लगाए जा रहे हैं.. कि केजरीवाल फ्री की रेवड़ी बांट रहा है,  मुझे गालियां दी जा रही है, उन्होने कहा कि मैं लोगों से पूछना चाहता हूं कि मैं क्या गलतियां कर रहा हूं ? बच्चों को मुफ्त, अच्छी शिक्षा देना, लोगों का मुफ्त इलाज करवाना उसे मुफ्त की रेवड़ी बांटना नहीं कहते, हम एक विकसित, गौरवशाली भारत की नींव रख रहे हैं।

रेवड़ी कल्चर पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव का बयान

वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी, उन्होने कहा कि ‘रेवड़ी बांटकर थैंक्यू का अभियान चलाकर सत्ताधारी अगर युवाओं को रोजगार दें.. तो वो ‘दोषारोपण संस्कृति’ से बच सकते हैं, रेवड़ी शब्द असंसदीय तो नहीं?, कई विपक्षी दलों ने बीजेपी की योजनाओं पर सवाल उठाए, इन्होंने केंद्र सरकार से सवाल करते हुए कहा कि कॉरपोरेट के लाखों करोड़ रुपये के टैक्स को माफ करना ‘रेवड़ी कल्चर’ में आता है या नहीं।

 

 

छत्तीसगढ़ में रेवड़ी की परंपरा की आंच

वहीं रेवड़ी की परंपरा की आंच अब छत्तीसगढ़ जा पहुंची है, हाल ही में छत्तीसगढ़ बीजेपी के पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भूपेश सरकार पर हमला बोला था, रेवड़ी और बेवड़ी वाली सरकार बताया था, बृजमोहन अग्रवाल की टिप्पणी पर सीएम भूपेश बघेल ने नाराजगी जताई, इस पर सीएम भूपेश ने सवाल किए कि बीजेपी और प्रधानमंत्री से रेवड़ी के मायने पूछे हैं कि आखिर रेवड़ी है क्या ..? हमारी सरकार ने किसानों का ऋण माफ किया है क्या वह रेवड़ी है, हमारी सरकार गौधन न्याय योजना के सहारे लोगों को स्वावलंबी बना रही है क्या ये रेवड़ी है ?, अब सुप्रीम कोर्ट भी रेवड़ी परंपरा पर सख्त नजर आ रहा है।

बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की याचिका

बतादें कि ‘रेवड़ी कल्चर’ का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने SC में 22 जनवरी 2022 को एक जनहित याचिका यानी PIL दाखिल की थी, राजनीतिक दलों की तरफ से मुफ्त की घोषणाओं पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसमें मुफ्त वादे करने वाले दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाना चाहिए, उनके चुनाव चिह्नों को सीज की मांग भी की गई थी।

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