भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राजा भोज की नगरी भोपाल पहुचीं, जहां उन्होंने 7वें अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस सम्मेलन का आयोजन ‘नए युग के लिए पूर्वी मानवतावाद’ विषय पर किया जा रहा है। सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि धर्म का जहाज हिलता.डुलता है, लेकिन डूबता नहीं। यह सम्मेलन मानवता की दिशा में एक बड़ी जरूरत को पूरा करने के लिए सार्थक प्रयास है। उन्होंने कहा कि महर्षि पतंजलि, गुरु नानक, भगवान बुद्ध ने दुख से निकलने के मार्ग सुझाए हैं। मानवता के दुख के कारण का बोध करना और इस दुख को दूर करने का मार्ग दिखाना पूर्व के मानववाद की विशेषता है। ये आज के युग में और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
‘दुख से निकलने के मार्ग’
राष्ट्रपति ने बताया कि महर्षि पतंजलि, गुरु नानक और भगवान बुद्ध ने दुःख से निकलने के मार्ग सुझाए हैं। मानवता के दुःख के कारण का बोध करना और इस दुख को दूर करने का मार्ग दिखाना पूर्व के मानववाद की विशेषता है। यह आज के युग में और अधिक अहम हो गई है। आज से दो हजार साल पहले हमारे देश में धर्म महात्मा को बोध को सबसे अहम माना जाता था। स्वाधीनता के बाद हमने जो लोकतांत्रिक व्यवस्था अपनाई, उस पर धर्म.धम्म का गहरा प्रभाव है।
‘राग और द्वेष से मुक्त होना है’
देश की प्रथम नागरिक दौपदी मुर्मू ने कहा, राग और द्वेष से मुक्त होकर अहिंसा की भावना से व्यक्ति और समाज निर्माण करना पूर्व के मानववाद का प्रमुख संदेश रहा है। नैतिकता पर आधारित व्यक्तिगत आचरण और समाज पूर्व के मानववाद का व्यवहारिक रूप है। उन्होंने कहा कि हमारी परंपरा में कहा जाता है कि जिस समाज में धर्म की रक्षा की जाती हैए वो समाज भी धर्म को प्राप्त करता है। मुझे यह देखकर गर्व होता है कि हमारे देश की परंपरा में धर्म को समाज व्यवस्था और राजनीतिक कार्यकलापों में प्राचीनकाल से ही केंद्रस्थ स्थान प्राप्त है।
भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में हो रहे 7वें अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन में 15 देशों के 350 से ज्यादा विद्वान और 5 देशों के संस्कृति मंत्री शामिल हुए। नए युग में मानववाद के सिद्धांत पर केंद्रित सम्मेलन 5 मार्च तक चलेगा। तीन दिवसीय सम्मेलन में 4 मुख्य सत्र होंगे। 25 विद्वान विचार रखेंगे। इसी दौरान 15 समानांतर सत्र भी होंगेए जिसमें सम्मेलन की थीम श्नए युग में मानववाद का सिद्धांत पर केंद्रित 115 शोध-पत्र पढ़े जाएंगे। पहले दिन उद्घाटन सत्र के अतिरिक्त अनूठा मंत्री सत्र भी होगा। इसमें 5 देशों के मंत्री सांस्कृतिक सामंजस्य और विभिन्न विषयों पर चर्चा करेंगे। सम्मेलन में मां नर्मदा को समर्पित लोकगीतों की प्रस्तुति भी होगी। इस प्रस्तुति में अनेक प्रसिद्व गीतकार शामिल होंगे।