राहुल गांधी को सूरत की एक कोर्ट ने मोदी सरनेम टिप्पणी मामले में दो साल की सजा सुनाई है। हालांकि 30 दिनों के लिए सजा पर रोक भी लगाई गई है ताकि कांग्रेस नेता ऊपरी अदालत में फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर सकें। ऐसे में सवाल है क्या राहुल गांधी की लोकसभा सदस्या छिन जाएगी? जानिए क्या है नियम…

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जन प्रतिनिघि की सदस्यता पर क्या कहते हैं नियम?

लोक प्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 8 (3) के मुताबिक, अगर किसी नेता को दो साल या इससे ज्यादा की सजा सुनाई जाती है तो उसे सजा होने के दिन से उसकी अवधि पूरी होने के बाद आगे छह वर्षों तक चुनाव लड़ने पर रोक का प्रावधान है। अगर कोई विधायक या सांसद है तो सजा होने पर वह अयोग्य ठहरा दिया जाता है। उसे अपनी विधायकी या सांसदी छोड़नी पड़ती है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

संविधान विशेषज्ञ कहते हैं कि राहुल गांधी को दो साल की सजा जरूर हुई है, लेकिन सजा अभी निलंबित है। ऐसे भी फिलहाल उनकी सांसदी पर कोई खतरा नहीं है। राहुल को अगले तीस दिन के भीतर ऊंची अदालत में फैसले को चुनौती देनी होगी। अगर वहां भी कोर्ट निचली अदालत को बरकार रखती है तो राहुल की संसद सदस्यता जा सकती है।

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2013 से पहले क्या थे नियम?

दरअसल, 2013 के पहले ऐसा नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में इस अधिनियम को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए धारा 8 (4) को असंवैधानिक करार दिया था। इस प्रावधान के मुताबिक, आपराधिक मामले में दो साल या उससे ज्यादा सजा के प्रावधान वाली धाराओं के तहत, दोषी करार किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को उस सूरत में अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता था, अगर उसकी ओर से ऊपरी न्यायालय में अपील दायर कर दी गई हो। यानी धारा 8 (4) दोषी सांसद, विधायक को अदालत के निर्णय के खिलाफ अपील लंबित होने के दौरान पद पर बने रहने की छूट प्रदान करता है। इसके बाद से किसी भी कोर्ट में दोषी ठहराए जाते ही नेता की विधायकी सासंदी चली जाती है।

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