भारतीय रेल में वरिष्ठ नागरिकों को किराये में मिलने वाली छूट पर सुप्रीम कोर्ट ने रेल मंत्रालय को आदेश देने से इंकार कर दिया है। दरअसल, रेल किराये में छूट को बहाल किए जाने की मांग वाली याचिका को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस एस के कॉल और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह वाली पीठ ने इस याचिका का खरिज कर दिया।
दिशा निर्देश जारी करना उचित नहीं- SC
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि इस बारे में कोर्ट की ओर से दिशा निर्देश जारी करना उचित नहीं है। इस पर सरकार को फैसला लेना होगा। सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका एक के बालाकृष्णन ने दायर की थी। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि संविधान के आर्टिकल 32 के तहत कोर्ट के लिए याचिका के मुताबिक सरकार को आदेश जारी करना उचित नहीं होगा।
वरिष्ठ नागरिकों को छूट देना सरकार का कर्तव्य- याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता ने कहा था कि बुजुर्गों को किराये में छूट देना सरकार का कर्तव्य है। बेंचबें ने कहा कि वरिष्ठ नागरितों के जरुरतों को ध्यान में रखते हुए और और इसके वित्तीय असर के चलते इस मुद्दे पर सरकार को फैसला लेना होगा। फिर कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।
संसदीय स्थाई समिति ने की थी सिफारिश
हाल ही में संसदीय स्थाई समिति ने वरिष्ठ नागरिकों को किराए में छूट के लिए सिफारिश की है, लेकिन सरकार रेल किराये में छूट को फिर से बहाल करने से इंकार करती रही है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बताया था कि 2019-20 में सीनियर सिटीजन को पैसेंजसें फेयर में छूट दिए जाने से रेलवे को 1667 करोड़ रुपये राजस्व से हाथ धोना पड़ा था।
रेल मंत्री ने कहा था कि 2019-20 में पैसेंजसें र्स टिकट पर रेलवे को सब्सिडी के तौर पर 59 हजार करोड़ रुपये खर्च करना पड़ा है। रेल में सफर करने वाले हर व्यक्ति पर सरकार औसतन 53 फीसदी सब्सिडी देती है और ये सब्सिडी सभी पैसेंजसें को दिया जा रहा है।
कोरोना के बाद से ही बंद है छूट
बता दें, 20 मार्च 2020 से कोविड-19 महामारी के समय से ही सीनियर सिटीजन को ट्रेन के किराए में छूट को खत्म कर दिया गया था और अभी तक इसे बहाल नहीं किया गया है।
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