राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पहले, कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि पार्टी के भीतर चल रही रार साफ दिखाई दे रही है। दरअसल, आने वाले चुनावों को देखते हुए कांग्रेस विधायकों से जयपुर स्थित वार रूम में वन-टू-वन फीडबैक लिया जा रहा है। लेकिन सचिन पायलट ने पार्टी की इस बैठक से दूरी बना ली। बैठक में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा कांग्रेस विधायकों से फीडबैक ले रहे हैं।
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CM गहलोत के साथ पायलट की अनबन!
दरअसल, कांग्रेस प्रदेश में 17 से 20 अप्रैल तक वन टू वन फीडबैक कार्यक्रम संचालित कर रही है। इसी का आज पहला दिन था, लेकिन पायलट विधायक होने के बावजूद इस बैठक में नहीं पहुंचे। पूर्व डिप्टी सीएम पायलट के अपने विधानसभा क्षेत्र के शाहपुरा-खेतड़ी दौरे पर निकल गए। पायलट का इस बैठक से दूरी बनाना अपने पार्टी सहयोगी और राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ चल रही अनबन बताया जा रहा है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई- पायलट
पायलट का पहला पड़ाव जयपुर के शाहपुरा में परमानंद धाम था, जहां उन्होंने एक धार्मिक समारोह में भाग लिया और भीड़ को संबोधित किया। पायलट ने कहा, “एक सप्ताह हो गया है, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।”
‘भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी पहल जारी रहेगी’
पायलट ने कहा, “मैं सम्मान के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी पहल जारी रखूंगा। मैं इसका राजनीतिक रूप से विरोध करता हूं, लेकिन सम्मान के साथ। मैं जो कहता हूं, उसके बारे में सावधान हूं।” रिपोर्ट में पायलट के हवाले से कहा गया है, “मैं सरकार का हिस्सा नहीं हूं। अगर हम बड़े लोगों के लिए कानून बदल सकते हैं, तो हमें सैनिकों के परिवारों के प्रति सहानुभूति हो सकती है। हमें नियमों में ढील देनी चाहिए और उन्हें उचित नौकरी देनी चाहिए।”
विवाद के बीच कांग्रेस चुनाव में कैसे जायेगी?
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि जब पिछले काफी समय से गहलोत व सचिन के बीच अदावत चल रही है तो ये कार्यक्रम फिक्स करने से पहले तय किया जाना चाहिए था। लेकिन पायलट अपना प्रोग्राम पहले ही बना चुके थे, बावजूद इसके प्रोग्राम तय करना नए विवाद को जन्म दे सकता है। माना जा रहा है कि यह विवाद फिर से आलाकमान के पास पहुंचेगा और इसमें पायलट की तरफ से फीडबैक के लिए अलग से समय मांगा जाए। दूसरी तरफ सूत्रों का कहना है कि ये सब सचिन पायलट को अलग थलग करने के लिए कुछ प्रभावी नेताओं द्वारा तैयार किया कार्यक्रम है।