शेयर बाजार की नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सुप्रीम कोर्ट में वित्त मंत्रालय से अलग जवाब दिया है। सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने 2016 के बाद से अडानी समूह की किसी भी कंपनी की जांच नहीं की है, जैसा कि कुछ याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है।

एक हलफनामे में बाजार नियामक सेबी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा अपने उत्तर हलफनामे में दिए गए विवाद का हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित और/या उत्पन्न होने वाले मुद्दों से कोई संबंध नहीं है। इसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं के जवाब हलफनामे में संदर्भित मामला 51 भारतीय सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा वैश्विक डिपॉजिटरी रसीद जारी करने से संबंधित है।

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सेबी के हलफनामे में कहा गया है कि जांच पूरी होने के बाद, इस मामले में उचित प्रवर्तन कार्रवाई की गई। इसलिए, यह आरोप कि 2016 से अडानी की जांच कर रहा है, तथ्यात्मक रूप से निराधार है और जीडीआर से संबंधित जांच पर भरोसा करने की मांग पूरी तरह से गलत है।

वही, इस मामले पर वित्त मंत्रालय ने आज कहा कि वह जुलाई 2021 में संसद में सवालों के लिखित जवाब में कही गयी बातों पर कायम है। इसमें कहा गया था कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) अडानी समूह की कुछ कंपनियों के खिलाफ जांच कर रहा है।

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वित्त मंत्रालय ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘सरकार 19 जुलाई, 2021 को लोकसभा में अपने लिखित जवाब पर कायम है। यह सभी संबद्ध एजेंसियों से मिली जानकारी और जांच-पड़ताल पर आधारित है।’’

वित्त मंत्रालय ने कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश के बयान के बाद यह बात कही है। रमेश ने वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी के 19 जुलाई, 2021 के लिखित जवाब का ‘स्क्रीनशॉट’ पोस्ट कर पूछा कि आखिर कौन गुमराह कर रहा है।

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