बिहार (Bihar) की नीतीश सरकार (Nitish Government) को अपने एक ऐतिहासिक फैसले पर बड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार को ये झटका देश की सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) से लगा है। दरअसल, नीतीश सरकार ने बीते दिनों राज्य में जाति आधारित जनगणना (caste-based survey) कराने का निर्णय लिया था। लेकिन नीतीश सरकार की इस महत्वकांक्षी फैसले को तब झटका लगा जब पटना हाईकोर्ट (High court) ने जाति आधारित जनगणना पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट द्वारा इस मामले में रोक लगाए जाने के बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। लेकिन अब सर्वोच्च अदालत ने नीतीश सरकार की याचिका ही खारिज कर दी है।

यह भी पढ़ें- फटकार के बाद झटका, WB में ‘The Kerala Story’ से बैन हटा, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया ममता सरकार का आदेश

हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप नहीं- SC

 

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस राजेश बिंदल की कोर्ट ने जातीय गणना को लेकर पटना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘यह जांच का विषय है कि कहीं जाति गणना की आड़ में जनगणना तो नहीं हो रही है। पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना को असंवैधानिक मानते हुए अंतरिम रोक लगाई है, इसलिए हम हाईकोर्ट के फैसले में दखल नहीं देना चाहते। पीठ ने कहा कि इस मामले में बेहतर होगा कि पहले पटना हाईकोर्ट में ही सुनवाई हो।’

हाईकोर्ट ने लगाई थी रोक

दरअसल, बिहार में नीतीश सरकार का दावा था कि जाति आधारित जनगणना से राज्य में विकास आधारित योजनाओं को बनाने और उन्हें अमल में लाने में मदद मिलेगी। लोगों का विकास सच्चे अर्थों में हो सकेगा। लेकिन इसके विरोध में एक साथ कई याचिका पटना हाईकोर्ट में दाखिल की गईं, जिसके बाद हाईकोर्ट ने एकसाथ ​सुनवाई करते हुए नीतीश सरकार के इस महत्वकांक्षी फैसले पर रोक लगा ​दी।

क्या थी याचिकाकर्ता की दलील?

याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट अभिनव श्रीवास्तव ने कहा था कि राज्य सरकार को जाति आधारित गणना कराने का अधिकार नहीं है। राज्य सरकार अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर लोगों का डेटा इकट्ठा कर रही है, जो नागरिकों की निजता का हनन है। बगैर किसी बजटीय प्रावधान किए राज्य सरकार द्वारा गणना कराई जा रही है, जो असंवैधानिक है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here