मध्य प्रदेश के रीवा में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में
चिकित्सकों की प्राइवेट प्रैक्टिस अस्पताल की सेवाओं को प्रभावित कर रही है, आलम ये है कि चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस में इतने व्यस्त हैं कि उनके पास सुपर स्पेशलिटी की OPD में बैठने का भी वक्त नहीं है,मरीज आते हैं और घंटों इंतजार के बाद भी उन्हें जाना पड़ता है, इलाज के लिए चिकत्सकों के पास वक्त नहीं है, और मरीजों को उपचार सुविधा नहीं मिल पाती, ऐसी शिकायतें पिछले दिनों में कई बार कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी के पास पहुंच चुकी हैं ।
कलेक्टर ने कई बार मौखिक रूप से चिकित्सकों को चेताया भी, लेकिन वो नहीं माने, अब कलेक्टर ने डीन डॉ. मनोज इंदुलकर को निर्देश दिए हैं, सुपर स्पेशलिटी में पदस्थ कोई भी चिकित्सक अगर प्राइवेट प्रैक्टिस करता पाया गया तो उसकी सेवाएं रद्द कर दी जाएंगी।
कलेक्टर के निर्देश पर चिकित्सकों में हड़कंप मच गया है।
जानकारी के मुताबिक चिकित्सक सुपर स्पेशलिटी में सेवा देने के साथ-साथ नर्सिंग होम और घरों में प्राइवेट प्रैक्टिस कर प्रतिमाह लाखों रुपए कमा रहे हैं, वहीं कई डॉक्टरों ने तो अपना नर्सिंग होम खोल रखा हैं, इस तरह रोक लगने से उनका व्यापार पूरी तरह से प्रभावित होगा।
बीते दिनों में सबसे अधिक समस्या न्यूरो सर्जनों के न बैठने पर हो रही है, कई बार दिन के बावजूद भी वह ओपीडी में नहीं मिलते हैं, ऐसा वे चिकित्सक कर रहे हैं जो वरिष्ठ भी हैं, जबकि उन्हें अपनी सेवाओं के प्रति ज्यादा ध्यान देना चाहिए ताकि उनके अनुभव का लाभ मरीजों को मिल सके, इसके अलावा हार्ट और न्यूरो के भी कुछ चिकित्सक ओपीडी से गायब रहते हैं, जिसकी शिकायत कई बार कलेक्टर तक पहुंच चुकी है, जबकि सुपर स्पेशलिटी के अनुबंध में ही प्राइवेट प्रैक्टिस न करने की बात कही गई है।
कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने भले ही सुपर स्पेशलिटी की ओर ध्यान दिया है, लेकिन उन्हें SGMH के चिकित्सकों की ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है,कारण ये है कि यहां के हालात और भी बदतर हैं, यहां मरीज जूनियर चिकित्सकों के भरोसे ही रहते हैं, सीनियर चिकित्सक कभी-कभार ही मरीजों का हाल लेने पहुंचते हैं, कुछ चिकित्सक ऐसे भी हैं जो फोन पर ही जानकारी लेकर अपनी ड्यूटी पूरी कर देते हैं, जबकि उनके बंगलों के बाहर मरीजों की भीड़ जमा रहती है। हालांकि चिकित्सकों पर लगाम लगाने के प्रयास कई बार हो चुके हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी।