बिहार में IAS अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में पूर्व सांसद आनंद मोहन की समय से पहले जेल से रिहाई के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। दरअसल, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा ने आनंद मोहन की जेल से रिहाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसके बाद कोर्ट ने उमा की याचिका को स्वीकार करते हुए 8 मई को सुनवाई करने का फैसला किया है।
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27 अप्रैल को हुई थी आनंद मोहन की रिहाई
बिहार की जेल नियमावली में संशोधन के बाद 27 अप्रैल को आनंद मोहन की सहरसा जेल से रिहाई कर दी गई थी। जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने याचिका में दलील दी थी कि गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन को सुनाई गई उम्रकैद की सजा उनके पूरे जीवनकाल के लिए है और इसकी व्याख्या महज 14 वर्ष की कैद की सजा के रूप में नहीं की जा सकती।
नीतीश सरकार का जेल नियमावली में संशोधन
नीतीश कुमार सरकार द्वारा बिहार जेल नियमावली में 10 अप्रैल को किए गए संशोधन के बाद उनकी सजा में छूट दी गई, जिसके तहत ड्यूटी पर एक लोक सेवक की हत्या में शामिल लोगों की जल्द रिहाई पर प्रतिबंध हटा दिया गया था। राज्य सरकार के फैसले के आलोचकों का दावा है कि आनंद मोहन की रिहाई के लिए ऐसा किया गया था। राजनेताओं सहित कई अन्य लोगों को राज्य के जेल नियमों में संशोधन से लाभ हुआ।
1994 में हुई थी IAS जी कृष्णैया की हत्या
बता दें, तेलंगाना के रहने वाले IAS अधिकारी और गोपालगंज के तत्कालीन जिला कलेक्टर जी कृष्णैया की 1994 में एक भीड़ ने उस वक्त पीट-पीटकर हत्या कर दी, जब उनके वाहन ने मुजफ्फरपुर जिले में गैंगस्टर छोटन शुक्ला की शवयात्रा से आगे निकलने की कोशिश की थी। तत्कालीन विधायक आनंद मोहन शवयात्रा में शामिल थे।