गुजरात के बिलकिस बानो केस में आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने 11 दोषियों को उनकी कैद की अवधि के दौरान दी गई पैरोल पर सवाल उठाया और कहा कि अपराध की गंभीरता पर राज्य द्वारा विचार किया जा सकता था। जिस पर केंद्र और गुजरात सरकार ने कहा कि वे 27 मार्च के आदेश की समीक्षा दायर कर सकते हैं, जिसमें कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों को छूट पर मूल फाइलें मांगी थीं। कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 2 मई को होगी।
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…आप सेब की तुलना संतरे से नहीं कर सकते- SC
पीठ ने कहा, “एक गर्भवती महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और कई लोग मारे गए। आप पीड़ित के मामले की तुलना मानक धारा 302 (हत्या) के मामलों से नहीं कर सकते। जैसे आप सेब की तुलना संतरे से नहीं कर सकते, उसी तरह नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती।”
आज यह बिलकिस है, कल यह कोई भी हो सकता है- SC
पीठ ने कहा, “सवाल यह है कि क्या सरकार ने अपना दिमाग लगाया और छूट देने के अपने फैसले के आधार पर क्या योजना बनाई।” उन्होंने कहा कि आज यह बिलकिस है, लेकिन कल यह कोई भी हो सकता है। यह आप या मैं हो सकते हैं। यदि आप छूट देने के अपने कारण नहीं बताते हैं, तो हम खुद निष्कर्ष निकालेंगे।” कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में दोषियों को सजा में छूट देने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के अंतिम निस्तारण के लिए 2 मई की तारीख निर्धारित की।
2014 की नई संशोधित के तहत फैसला
गृह विभाग के सीनियर अधिकारी ने बताया कि गुजरात ने 2014 में कैदियों के लिए एक और नई संशोधित छूट नीति अपनाई। यही नीति वर्तमान में प्रभावी है। इसमें दोषियों की श्रेणियों के बारे में विस्तृत दिशा-निर्देश हैं कि किसे राहत दी जा सकती है और किसे नहीं ?
क्या थी पूरी घटना?
बता दें कि गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आगजनी की घटना के बाद भड़के दंगों के दौरान बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें तीन साल की एक बच्ची भी शामिल थी। बानो ने इस मामले में दोषी ठहराए गए 11 अपराधियों की बाकी सजा माफ करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी है। सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने सजा में छूट दी थी और उन्हें पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया था। घटना के वक्त बानो 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती भी थीं।