यूपी में 15 अप्रैल को हुई माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। पुलिस कस्टडी में हुई माफिया ब्रदर्स की हत्या के मामले देश की शीर्ष अदालत ने 24 अप्रैल की तारीख तय की है। एडवोकेट विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि यूपी पुलिस मनमाने तरीके से काम करके कानून को अपने हाथ में ले रही है। 2017 के बाद 183 अपराधी पुलिस की गोली का शिकार बने हैं।

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15 अप्रैल को हुई थी माफिया बद्रर्स की हत्या

बता दें कि अतीक और अशरफ की बीते शनिवार रात साढ़े 10 बजे उस वक्त हत्या कर दी गई जब दोनों को पुलिस कस्टडी में मेडिकल कराने ले जाया जा रहा था। का​ल्विन मेडिकल कॉलेज परिसर में मीडिया के कैमरों के सामने पत्रकार के भेष में तीन लोग आते हैं और ताबड़तोड़ गोलियां दागकर दोनों माफिया ब्रदर्स की हत्या कर देते हैं। हालांकि पुलिस ने तीनों आरोपियों को उसी वक्त अरेस्ट कर लिया था, लेकिन पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान भी उठ खड़े हुए थे।

याचिकाकर्ता के सवाल

याचिकाकर्ता अधिवक्ता विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में कहा कि यूपी में पुलिस मनमाने तरीके से काम कर रही है। अपराधियों को ऐसे निशाना बनाया जा रहा है जैसे पुलिस फाइनल अथॉरिटी है। अदालतों का काम भी पुलिस ने अपने हाथ में ले रखा है। उनका कहना है कि पुलिस ने मनमाने तरीके से काम करते हुए 2017 के बाद से 183 अपराधियों का मौके पर ही फैसला कर दिया। उनकी दलील है कि ऐसे में अदालतों की जरूरत ही क्या रहेगी।

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