महाराष्ट्र में शिंदे सरकार पर मडरा रहे खतरे के बीच सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आ गया है. एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 15 विधायकों की योग्यता पर सुप्रीम कोर्ट संविधान पीठ ने शिंदे सरकार को बड़ी राहत दी है. वहीं, शिवसेना विवाद के मुद्दे को बड़ी बेंच के पास भेज दिया है. हम आपको 10 बिंदुओं में सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला बता रहे हैं…

  1. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया इसलिए हम उनकी सरकार को बहाल नहीं कर सकते हैं. उद्धव इस्तीफा नहीं दिए होते तो राहत मिल सकती थी.
  2. कोर्ट ने स्पीकर के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे को बहुमत परीक्षण के लिए बुलाना सही नहीं था. राज्यपाल ने भरोसा किया कि उद्धव के पास बहुमत नहीं है.
  3. गर्वनर का फैसला गलत था कि उद्धव ठाकरे बहुमत खो चुके हैं. गर्वनर की ओर से किया गया विवेक का उपयोग संविधान के अनुसार नहीं था.
  4. सीजेआई ने कहा, जहां तक बात विधायकों के अयोग्यता को लेकर है तो इसका फैसला स्पीकर ही करेंगे. अंदरूनी विवाद के लिए फ्लोर टेस्ट कराना ठीक नहीं था.
  5. राजनीतिक पार्टी में अलग-अलग गुटों के मतभेद का फ्लोर टेस्ट माध्यम नहीं हो सकता है. गवर्नर इस तरह के पोलिटिकल एरिना में नही आ सकते जहां एक ही पार्टी के दो गुटो में मतभेद हो.
  6. गवर्नर के समक्ष ऐसा कोई दस्तावेज नही था जिसमें कहा गया वो सरकार के गिराना चाहते है. केवल सरकार के कुछ फैसलों में मतभेद था.
  7. गवर्नर के पास केवल एक पत्र था जिसमें दावा किया गया था कि उद्धव सरकार के पास पूरे नंबर नही है. इस पर गर्वनर को कार्रवाई करनी चाहिए थी.
  8. यदि अयोग्यता का निर्णय ECI के निर्णय के लंबित होने पर किया जाता है और चुनाव आयोग का निर्णय पूर्वव्यापी होगा और यह कानून के विपरीत होगा.
  9. नबाम रेबिया मामले में सवाल को बड़ी बेंच में भेजना चाहिए. स्पीकर को हटाने के लिए अगर नोटिस है तो क्या वो विधायकों की अयोग्यता की अर्जी का निपटारा कर सकता है. ये 7 जजों की पीठ सुनवाई करेगी.
  10. गवर्नर के समक्ष ऐसा कोई दस्तावेज नही था जिसमें कहा गया वो सरकार के गिराना चाहते है. केवल सरकार के कुछ फैसलों में मतभेद था.

बहाल नहीं कर सकते उद्धव सरकार- SC

सुप्रीम कोर्ट में अपना फैसला सुनाते हुए संविधान पीठ ने कहा कि हम महाराष्ट्र में पुरानी स्थिति को बहाल नहीं कर सकते हैं ना ही हम उद्धव ठाकरे के इस्तीफे को रद्द नहीं कर सकते हैं. क्योंकि वो इस्तीफा स्वेच्छा से दिया गया था. पीठ ने कहा कि अगर उद्धव इस्तीफा नहीं देते तो उनको राहत की बात बन सकती थी. उन्होंने फ्लोर टेस्ट का भी सामना नहीं किया. हम उद्धव को मुख्यमंत्री नहीं बना सकते हैं.

राज्यपाल का फैसला संविधान के मुताबिक नहीं- SC

मुख्य न्यायाधीश ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और स्पीकर के फैसले पर भी सवाल खड़े किए हैं. संविधान पीठ ने कहा कि राज्यपाल ने कार्य संविधान के मुताबिक नहीं रहा. राज्यपाल को पार्टी के ​भीतरी विवाद के बीच में नहीं पड़ना चाहिए था. पीठ ने कहा कि राज्यपाल को पार्टी के भीतरी विवाद पर बहुमत सिद्ध करने के लिए नहीं कहना चाहिए था। न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है।

विधानसभा अध्यक्ष का फैसला भी अनुचित- SC

वहीं पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को भी अनुचित करार दिया. पीठ ने कहा कि स्पीकर को पार्टी व्हिप को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए था. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि गोगावाले (शिंदे समूह) को शिवसेना पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त करने का स्पीकर का फैसला अवैध था. कोर्ट ने कहा कि आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

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