उत्तर प्रदेश में इन दिनों स्थानीय चुनावों का शोर मचा है। गुरुवार को पहले चरण का मतदान पूरा हो चुका है और दूसरे चरण का मतदान 11 मई को होना है। लेकिन इस चुनाव में एक दिलचस्प बात सामने आई है, हलांकि ये गलती प्रशासन की तरफ से हुई है, लेकिन इस गलती ने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खीच लिया है।
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ब्रह्मचारी को बना दिया 48 बच्चों का पिता
दरअसल, वाराणसी के शंकुलधारा वार्ड नंबर 51 की मतदाता सूची में बड़ी गलती सामने आई है। सूची के मुताबिक, एक महंत को 48 लोगों का पिता बना दिया गया है। नगर निकाय चुनाव में वाराणसी नगर निगम सुबह से ही वोटर लिस्ट में नाम होने की शिकायतों से जूझता रहा, लेकिन शहर के भेलूपुर जोन के शंकुलधारा वार्ड नंबर 51 में एक पिता के 48 बच्चों का नाम छपा मिला। इस लिस्ट को देख लोग हैरान रह गए। जांच हुई तो पता चला कि पिता राम कमलदास तो ब्रह्मचारी हैं और एक मठ के महंत हैं और ये 48 बच्चे उनके शिष्य हैं।
वार्ड नंबर 51 शंकुलधारा की लिस्ट में क्रम संख्या 243 से 284 तक जब पिता का नाम देखा गया तो सभी में राम कमल दास लिखा मिला। ये सभी 48 बच्चों की लिस्ट सोशल मीडिया पर वायरल होना शुरू हुई तो चर्चा का विषय बनी और मीडिया ने पिता की तलाश शुरू कर दी।
शिष्यों के गरु अमेरिका में
मिली जानकारी के अनुसार, राम कमल दास वेदांती जी महाराज खोजवां के एक राम मंदिर में गुरुदीक्षा करते हैं। राम मंदिर के सचिव पंडित राम भरत शास्त्री राम कमल दास वेदांती जी महाराज इस समय अमेरिका में है। ये सभी 48 नाम उनके शिष्यों के हैं। जिन्हे 1994 में वोटर लिस्ट से जोड़ दिया गया था और अब इनमे से कोई भी यहां नहीं रहता और सबकी उम्र 60 साल से अधिक है।
जिम्मेदार कौन?
वहीं, पोलिंग एजेंट्स की मानें तो यह बड़ी लापरवाही है। जहां हजारों लोगों का नाम वोटर लिस्ट से गायब है। वहां 48 नाम ऐसे भी मौजूद हैं, जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं और ये नाम किन परिस्थितियों में जोड़े गए यह भी बड़ा सवाल है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति जिस जिले में पढ़ रहा वह उस जिले का वोटर नहीं बन सकता यदि वह उसका गृहनगर नहीं है। ऐसे में इसे बड़ी लापरवाही मना जा रहा है।
गुरु शिष्य परंपरा बनी वजह!
दरअसल, वोटर लिस्ट में 48 बच्चों के सामने पिता और पति के नाम में स्वामी रामकमल दास का नाम लिखा हुआ है। लिस्ट में मौजूद रामकमाल दास के 10 बच्चों की उम्र 37 साल है। जबकि पांच बच्चों की उम्र 39 साल है। स्वामी रामकमल दास के प्रतिनिधि के अनुसार गुरु शिष्य परंपरा के कारण लोग पिता के रूप में गुरु राम कमल का नाम दर्ज कराते रहे हैं। लेकिन अब निकाय चुनाव में वोटिंग के दौरान वाराणसी के भेलूपुर वार्ड में ये गड़बड़ी सामने आ गई है।