भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिका में रह रहे व्यक्ति को “अपमानजनक आचरण” के लिए 06 महीने की जेल की सजा और 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। अजमेर से तालुक रखने वाला यह व्यक्ति 2004 से संयुक्त राज्य अमेरिका का निवासी है। शीर्ष अदालत ने केंद्र और सीबीआई को भारत में उसकी उपस्थिति को सुरक्षित करने के लिए हर संभव कदम उठाने का निर्देश दिया है।

शीर्ष अदालत ने जनवरी में अदालत के आदेश के अनुसार अपने बेटे को भारत वापस लाने में विफल रहने के लिए व्यक्ति को अवमानना का दोषी ठहराया था और निर्देश दिया था कि वह छह महीने के भीतर 25 लाख रुपये का जुर्माना अदा करे।

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने कहा कि अवमानना करने वाले ने पछतावे का कोई संकेत नहीं दिखाया है और इसके विपरीत, उसकी ओर से प्रस्तुतियां स्पष्ट रूप से दिखाती हैं कि उसके पास शीर्ष अदालत के आदेशों के कोई मायने नही हैं।

पीठ ने 16 मई को सुनाए अपने फैसले में कहा, उनके अपमानजनक आचरण को देखते हुए, हम अवमाननाकर्ता को 25 लाख रुपये का जुर्माना देने और दीवानी और आपराधिक अवमानना करने के लिए छह महीने की साधारण कारावास की सजा देने का निर्देश देने का प्रस्ताव करते हैं।

वहीं जुर्माना राशि के भुगतान नहीं करने की दशा में उसे दो महीने के साधारण कारावास की अतिरिक्त सजा काटनी होगी।

जानिये क्या है पूरा मामला?

  • शीर्ष अदालत ने 2007 में दोषी की पत्नी द्वारा दायर अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई करते हुए उस व्यक्ति को सजा दी और कहा कि उसने कोर्ट के आदेश की अवमानना की।
  • दरअसल, व्यक्ति ने महिला को अपने 12 वर्षीय बेटे की कस्टडी से वंचित कर दिया गया था, जिसके लिए वह मई 2022 के आदेश के अनुसार हकदार थी।
  • कोर्ट के आदेशानुसार व्यक्ति को अपने बच्चे, जो उस समय कक्षा 6 में पढ़ रहा था उसे अजमेर में वापिस लाना था।
  • कोर्ट ने कहा था कि जब तक बच्चा 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी नहीं कर लेता, तब तक वह हर साल 1 जून से 30 जून तक अपने पिता के साथ कनाडा और अमेरिका जा सकता है।
  • पीठ ने इसके बाद आदेश की अवमानना के लिए उसे दोषी ठहराया। कोर्ट ने अपने जनवरी के आदेश में कहा था कि वह व्यक्ति पिछले साल सात जून को अजमेर आया था और अपने बेटे को अपने साथ कनाडा ले गया, लेकिन उसे भारत वापस लाने में विफल रहा।

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