पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों को लेकर ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है।सुप्रीम कोर्ट ने आगामी पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती के संबंध में कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हाईकोर्ट के फैसले में कोई दिक्कत नहीं है।

हाईकोर्ट का निर्णय सही- SC

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि कोलकाता हाईकोर्ट ने जो सोचा वो सही है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हो सकता है अन्य पड़ोसी राज्यों से बलों की आवश्यकता के बजाय केंद्रीय बलों को तैनात करना बेहतर है और खर्च केंद्र द्वारा वहन किया जाएगा। SC ने आगे टिप्पणी करते हुए कहा कि चुनाव कराना हिंसा का लाइसेंस नहीं हो सकता है।

हाईकोर्ट के निर्णय में दखलंदाजी नहीं- SC

पंचायत चुनाव में हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ये साफ़ कर दिया है कि इसमें वो कोई दखलंदाजी नहीं करेगा। इससे पहले कलकत्ता HC की तरफ से 48 घंटे के भीतर राज्य के हर जिले में सिक्योरिटी फ़ोर्स तैनात करने का आदेश दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट की गंभीर टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग को कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्रीय बल तैनात करने को कहा है। आप इसके खिलाफ अर्जी कैसे दे सकते हैं? कोर्ट ने गंभीर टिप्पणियां भी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंसा के साथ मतदान नहीं कराया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि जब हिंसा हो रही है, तो फिर निष्पक्षता की बात कैसे की जा सकती है। कलकत्ता हाईकोर्ट में बीजेपी ने अर्जी देकर केंद्रीय बलों की तैनाती में पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव कराने को कहा था।

केंद्रीय बलों को न बुलाना एक एजेंडा- साल्वे

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना राज्य चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने पूछा कि जहां से बल आते हैं वह राज्य चुनाव आयोग की चिंता नहीं है फिर याचिका कैसे विचारणीय है? मामले में एक प्रतिवादी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे का कहना है कि राज्य में समस्या है। उन्होंने आरोप लगाया कि एजेंडा तैनाती की वास्तविक चिंता नहीं है, लेकिन एजेंडा यह है कि केंद्रीय बलों को मत बुलाओ।

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