कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद अभी भी CM को लेकर अभी भी सस्पेंस बरकरार है। पार्टी के नेता ये तय नहीं कर पा रहे कि किसे सीएम चुना जाए। इसे लेकर पार्टी के आला हाईकमान असमंजस की स्थिति में हैं कि किसे सीएम पद का उम्मीदवार बनाया जाए। इस लेकर हाईकमान ने कर्नाटक में पर्यवेक्षकों को भेजा है। आज पर्यवेक्षकों ने बेंगलुरु में विधायक दल की बैठक के बाद सभी सदस्यों के साथ वन टू वन बैठक की है। इसके बाद वे इस नतीजे पर पहुंचे की सभी विधायक एक बॉक्स में चिट डालें कि वे किसे अपना सीएम बनाना चाहते हैं।

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 सिद्धारमैया पहुंचे दिल्ली 

मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक पूर्व सीएम सिद्धारमैया दिल्ली पहुंच चुके हैं। ये भी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के साथ मिलकर अपने पक्ष में हवा बनाने की कोशिश करेंगे। चर्चा है कि सिद्धारमैया ने पार्टी आलाकमान के समक्ष प्रस्ताव पेश किया है कि वह दो साल के लिए मुख्यमंत्री रह सकते हैं जबकि डीके शिवकुमार बाकी तीन साल के लिए सरकार चला सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक सिद्धारमैया का पलड़ा फिलहाल भारी दिख रहा है।

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लड़कर कांग्रेस को इस मुकाम पर पहुंचाया- शिवकुमार

इसी बीच सीएम की रेस में शामिल डीके शिवकुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सिद्धारमैया के बहुमत के दावे पर कहा कि मैं कोई संख्या का दावा नहीं करूंगा। जो कांग्रेस की संख्या है, वही मेरी संख्या है। सभी विधायकों ने पार्टी आलाकमान पर फैसला छोड़ा है।

डीके ने ये भी कहा कि जब कांग्रेस के विधायक छोड़ कर गए तब भी मैंने उम्मीद नहीं छोड़ी। लड़कर कांग्रेस को इस मुकाम तक पहुंचाया। बीते पांच सालों में मेरे साथ क्या-क्या हुआ उसका खुलासा सही समय पर करूंगा। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने मुझे और सिद्धारमैया को दिल्ली बुलाया है। मैं अपने परिवार और गुरु से मिलने के बाद मैं दिल्ली के लिए निकल जाऊंगा।

कांग्रेस के पास विकल्प!

कांग्रेस सूत्रों की माने तो चर्चा है कि पूर्व सीएम सिद्धारमैया को एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, जबकि कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम की कुर्सी दी जा सकती है। दूसरा विकल्प ये है कि डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाए और सिद्धारमैया को डिप्टी सीएम। लेकिन डीके शिवकुमार की छवि को देखते हुए इसकी संभावना कम दिखती है।

ढाई ढाई साल का फार्मूला!

ऐसा भी हो सकता है कि शुरुआती दो-ढाई सालों के लिए सिद्धारमैया को सीएम बना दिया जाए और उसके बाद शिवकुमार को मौका दिया जाए। कांग्रेस को इस बारे में काफी सोच-समझकर फैसला लेना होगा, क्योंकि अगले साल लोकसभा चुनाव भी हैं और देश में कांग्रेस की सरकार बनाने में कर्नाटक का रोल अहम साबित होगा।

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